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मुख्यमंत्री ने दिया आश्वासन: 25 साल से संघर्ष कर रहे बहादरपुर सूत मिल के मजदूरों को जल्द मिलेगा न्याय

  • बंद पड़ी मिलों के मजदूरों को ब्याज सहित हक दिलाने की मुख्यमंत्री की घोषणा

बुरहानपुर। पिछले 25 वर्षों से अपने बकाया वेतन और ग्रेज्युटी के लिए इंतजार कर रहे बंद पड़ी बहादरपुर सूत मिल के मजदूरों के लिए नया साल राहत लेकर आया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में आयोजित बैरवा जयंती समारोह के दौरान घोषणा की कि प्रदेश की बंद हुई मिलों के मजदूरों को ब्याज सहित उनका हक दिलाया जाएगा।
मुख्यमंत्री का आश्वासन
डॉ. मोहन यादव ने अपने संबोधन में कहा उज्जैन की विनोद मिल, इंदौर की हुकुमचंद मिल, और ग्वालियर की जेसी मिल्स के मजदूरों के मामलों का समाधान हो चुका है या प्रक्रिया में है। शेष मिलों, जिनमें बहादरपुर सूत मिल भी शामिल है, के मजदूरों को भी उनका हक दिलाने का वादा किया।
अर्चना चिटनिस की पहल
भाजपा विधायक और पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता अर्चना चिटनिस ने इस मुद्दे को दिसंबर 2024 में विधानसभा में तारांकित प्रश्न के माध्यम से उठाया। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री चैतन्य कुमार कश्यप ने इस पर त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया था।
मजदूरों की मौजूदा स्थिति
मिल के परिसमापन के समय (1999) मजदूरों की देयता 1.51 करोड़ रुपये थी, जो अब ब्याज सहित बढ़कर 56.55 करोड़ रुपये हो चुकी है। मिल के करीब 1200 श्रमिकों में से 200 से अधिक मजदूर न्याय की आस में अपनी जान गंवा चुके हैं। फरवरी 1998 में कांग्रेस शासनकाल में मिल को पूंजी की कमी के कारण बंद कर दिया गया था।
क्या है मजदूरों की मांग?
मजदूर लंबे समय से वेतन, ग्रेज्युटी और अन्य बकाया राशि की मांग कर रहे हैं। वर्तमान घोषणा ने मजदूरों और उनके परिवारों के लिए आशा की नई किरण जगा दी है। मुख्यमंत्री की घोषणा और हालिया विधानसभा में उठाए गए मुद्दे से यह स्पष्ट है कि सरकार बंद हुई मिलों के मजदूरों की समस्याओं के प्रति गंभीर है।
श्रमिकों को उनका हक मिलना चाहिए
विधायक अर्चना चिटनिस ने कहा 25 साल के इंतजार और संघर्ष के बाद बहादरपुर सूत मिल के श्रमिकों को उनका हक मिलना उन सभी परिवारों के लिए बड़ी राहत साबित होगा। यह कदम न केवल आर्थिक न्याय सुनिश्चित करेगा, बल्कि प्रशासन की संवेदनशीलता को भी दर्शाता है।
2003 पूर्व मिल की दीवारों और ईंट-मिट्टी तक चोरी हो गई
विधायक अर्चना चिटनिस ने कहा कि संस्था को परिसमापन में लिए जाते वक्त संस्था की बिल्डिंग, मशीनरी गाडि़यां, तार फेसिंग, अधिकारियों के बंगले, श्रमिकों के क्वार्टस आदि सभी सही स्थिति में थे। किन्तु सुरक्षा के अभाव में 1998 से 2003 दौरान मिल की दीवारों और ईंट-मिट्टी तक चोरी हो गए। अब केवल 57.83 एकड़ औद्योगिक भूमि ही शेष है। जिसका वर्तमान गाईड लाईन मूल्य राशि रू. 81 करोड़ है। यह भूमि इंदौर-अंकलेश्वर मार्ग से लगी होने से इसका बाजार मूल्य गाईड लाईन रेट से बहुत अधिक है। 99 वर्ष की लीज पर दी गई 57.83 एकड़ औद्योगिक भूमि को शासन के आदेशानुसार जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र को हस्तांतरित कर दी गई है। यह भूमि वर्तमान में जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र बुरहानपुर के आधिपत्य में है। जिसे औद्योगिक उपयोग के अतिरिक्त अन्य शासकीय उपयोग में लिया जा सकता है या म.प्र. गृह निर्माण मण्डल से राशि प्राप्त कर उसे शासन की नीतियों के अनुसार विकसित किया जा सकता है। जिससे क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर खड़े किए जा सकते है।

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