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श्री हरिकृष्ण मुखिया जी महाराज का नागरिक अभिनंदन: 300 भागवत कथाओं की निर्विघ्न पूर्णता पर अभूतपूर्व सम्मान

  • 300 कथाओं की पूर्णता: ठाकुरजी की कृपा और सनातन धर्म की विजयगाथा

  • धर्म, सेवा और समर्पण: मुखिया जी का जीवन प्रेरणा

बुरहानपुर। सनातन संस्कृति समिति के तत्वावधान में आयोजित भव्य नागरिक अभिनंदन समारोह में श्री हरिकृष्ण मुखिया जी महाराज को 300 भागवत कथाओं के निर्विघ्न सम्पन्न होने पर सम्मानित किया गया। यह ऐतिहासिक आयोजन बुरहानपुर के बहादरपुर रोड स्थित राजस्थान भवन में हुआ, जिसमें शहर और आसपास के क्षेत्रों के हजारों भागवत प्रेमियों, संत-महात्माओं और गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया।
300 भागवत कथाओं की पूर्णता
श्री हरिकृष्ण मुखिया जी महाराज ने 17 वर्ष की आयु से भागवत कथा की सेवा शुरू की। आज तक 300 कथाओं का निर्विघ्न सम्पन्न होना ठाकुरजी की कृपा और सनातन धर्म प्रेमियों के अटूट सहयोग का प्रतीक है। 51 किलो पुष्पमाला और शाल-श्रीफल भेंट कर महाराज जी का अभिनंदन किया गया। सनातन संस्कृति समिति की ओर से अभिनंदन पत्र का वाचन किया गया।
मुखिया जी का भावुक उद्बोधन:
महाराज जी ने अपने संबोधन में ठाकुरजी और भागवत प्रेमियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा:
“ठाकुरजी और भक्त ही मेरा परिवार हैं। यह सम्मान मेरे जीवन का अमूल्य क्षण है।” उनकी आँखों से अश्रुधारा बह निकली और उन्होंने जीवन पर्यंत सनातन धर्म की सेवा का संकल्प लिया।सभी के प्रति कृतज्ञता का भाव अभिव्यक्त करते हुए आपने कहा कि जीवन पर्यन्त आपका हमारा यह अटूट प्रेम का सम्बन्ध यूं ही बना रहेगा।
सनातन संस्कृति समिति के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने हरिकृष्ण मुखियाजी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मुखियाजी विगत चौपन वर्ष से इस भागवत कथा रसगंगा की धारा को बहा रहे हैं। 17 वर्ष की उम्र में अपनी माताजी से प्रेरणा पाकर भागवत कथा का पाठ करना शुरू किया। आज आपके कारण बुरहानपुर की भारत देश के कोने कोने में ऐतिहासिक औद्योगिक पहचान के साथ आध्यात्मिक नगरी के रूप में भी पहचान और प्रतिष्ठा कायम हुई है।
स्वामी ब्रज बल्लभदास ने मुखिया जी को सनातन धर्म और आध्यात्मिक संस्कृति का जीवंत प्रतीक बताया। गोकुलचंद्रमां मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष हेमेंद्र गोविन्दजीवाला ने मुखिया जी की सेवाओं को “पानी से पानी पर पानी लिखने” जैसा अद्भुत कार्य बताया। 300 भागवत कथा की पूर्णता को एक दुष्कर कार्य बताते हुए कहा कि मिट्टी से मिट्टी पर मिट्टी तो कोई भी लिख सकता है पर मुखियाजी ने पानी से पानी पर पानी लिखकर बताया है। श्री गोविन्दजीवाला ने कहा कि मुखियाजी ने सफल होने के लिए कभी प्रयास नहीं किया बल्कि मूल्यवान बनने के लिए प्रयासरत रहे हैं,इसीलिए वो सबके आदर्श है। आपने मुखियाजी से आग्रह किया कि वे अपनी आगामी भागवत कथाओं में जात-पात छोड़कर हिन्दू समाज की एकता का संदेश देकर सनातन विरोधियों के खिलाफ समाज को खड़ा करने का बीड़ा उठाकर समाज का नेतृत्व करें। कार्यक्रम का संचालन एडवोकेट संतोष देवताले ने किया। अंत में आभार प्रदर्शन भागवताचार्य एडवोकेट आदित्य शर्मा ने किया।
इस अवसर पर साधु संत पुजारी समाज की ओर से उदासीन आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी पुष्करानंद, राम झरोखा मंदिर के नर्मदा गिरी महाराज, बहादरपुर राम मंदिर के पुजारी योगेश चतुर्वेदी, गणपति मंदिर के प्रमुख बाल्या महाराज, पंडित बिपिन पुरोहित, शास्त्री महाराज सहित बड़ी संख्या में साधु संत भी आयोजन के साक्षी बने। नगर के गणमान्य नागरिकों में माधव बिहारी अग्रवाल, आनंद सिंघानिया, विष्णु मित्तल, प्रमोद गाड़िया, राजू जोशी, शाहपुर के महेश सिंह चौहान, आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्था के प्रशिक्षक दंपत्ति दीपाली रविंद्र पंडित, वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण शेंडे, कस्तूरचन्द टांक, जितेश दलाल, धीरज देवकर, पटेल रतीलाल बोरीवाला स्कूल की प्राचार्या अर्चना गोविंदजीवाला, निगम की पूर्व अध्यक्ष गौरी दिनेश शर्मा, ललीत लाड, भाजपा नेता दिलीप श्रॉफ, वरिष्ठ चिकित्सक रमेश कापड़िया, बलराज नावानी, सुनील अग्रवाल, सुनिल मोतीवाला सहित बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित थे।

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