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कांग्रेस पार्षदों ने कलेक्टर से की आसंदी के अपमान की शिकायत, महापौर ने कहा अध्यक्ष काम नहीं करना चाहती

  • संविधान लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे पार्षद, एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की, बजट को झूठा बताया

बुरहानपुर। 21 अक्टूबर को परमानंद गोविंदजीवाला ऑडिटोरियम में हुए निगम सम्मेलन को कांग्रेस ने झूठा बताया। बजट और निगम अध्यक्ष की आसंदी के अपमान को लेकर 25 पार्षद कलेक्टर भव्या मित्तल से मिलने पहुंचे। एफआईआर दर्ज करने की भी मांग कर दी। वहीं शाम 4 बजे महापौर की ओर से आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में महापौर माधुरी पटेल, पूर्व महापौर अतुल पटेल ने कहा बैठक नियमानुसार हुई। बजट भी नगर विकास को देखकर पास कराया गया। अध्यक्ष काम नहीं करना चाहतीं इसलिए वरिष्ठ पार्षदों के माध्यम से बैठक संचालित की गई। उन्होंने सारे आरोप निराधार बताए।
गौरतलब है कि 21 अक्टूबर को सुबह 11 बजे से नगर निगम का सम्मेलन स्थानीय इंदिरा कॉलोनी स्थित परमानंद गोविंदजीवाला ऑडिटोरियम में हुआ। कांग्रेस पार्षदों का आरोप है कि शाम 6 बजे तक सभी पार्षद चर्चा में उपस्थित रहे। इसके बाद आधे से ज्यादा पार्षदों ने अध्यक्ष अनीता यादव से अनुरोध किया कि समय अधिक हो गया है। इसे लेकर हंगामा भी हुआ तब अध्यक्ष ने सभी की मांग पर सम्मेलन स्थगित कर अगली तारीख 5 नवंबर तय की, लेकिन इसी बीच सत्तापक्ष ने दो वरिष्ठ पार्षदों को सभापति मनोनीत कर बजट पेश कर दिया। इससे पहले कांग्रेस के सभी पार्षद वॉक आउट कर गए थे। पार्षदों ने शिकायत की बात कही थी। आज वह कलेक्टर को शिकायत दर्ज कराने पहुंचे।
निगम अध्यक्ष बोलीं-बैठक स्थगित करने के बाद भी गलत तरीके से किया संचालन
नगर निगम अध्यक्ष अनीता यादव ने कहा- महापौर माधुरी अतुल पटेल, विधायक प्रतिनिधि अतुल पटेल, निगमायुक्त संदीप श्रीवास्तव ने मिटिंग का संचालन अपनी मर्जी से किया। अधिनियम के विपरीत संभाजी सगरे और विनोद पाटिल पार्षद को अध्यक्ष बनाकर आसन पर बैठाया। उन्होंने कहा बजट पर बात हुई तब मैंने 10 मिनट का ब्रेक लिया था। इसके बाद 15 मिनट बात सुनी। समय को देखकर महिलाओं के छोटे बच्चे होने के कारण सम्मेलन की 5 नवंबर की तारीख तय की। बाद में उन्होंने वरिष्ठ पार्षद को आसन पर बैठाकर आसन का अपमान किया।
सत्तापक्ष को डर था कि विपक्ष विरोध करेगा
कांग्रेस नेता अजय रघुवंशी ने कहा-आज 25 पार्षदों ने ज्ञापन दिया। 21 अक्टूबर को 11 से 6 बजे तक मिटिंग चलती रही। पार्षदों ने अध्यक्ष से कहा कि समय अधिक हो गया है तब बहुमत के आधार पर मिटिंग स्थगित की गई। इसके बाद कूटरचित रचना रचकर महापौर, कमिश्नर ने आसंदी, जनता का अपमान किया। भेदभाव किया है। उन्हें संज्ञान था कि बजट में कांग्रेस पार्षद 50 रूपए के पानी के टैक्स को 200 रूपए नही होने देते। जनता के साथ खिलवाड़ किया। संपत्तिकर पर 25 प्रतिशत टैक्स बढ़ाया है। परिषद का अपमान किया है। कठोर कार्रवाई हो। इसकी एफआईआर दर्ज की जाए। कलेक्टर से जांच कर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा आसंदी के अपमान की कार्रवाई की जाए। अध्यक्ष उपस्थित न हो तो बात अलग है।
यह क्रिमिनल अफेंस है, थाने में भी शिकायत दी
अधिवक्ता उबैद शेख ने कहा धारा 31, 36 में अध्यक्ष को अधिकार है कि वह सम्मेलन स्थगित कर अगली तारीख तय करे, लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ। सत्तापक्ष के लोग धारा 33-3 का हवाला दे रहे हैं, लेकिन वह रेगुलर मिटिंग के लिए होता है। उन्होंने अपराध किया। निर्वाचित अध्यक्ष को घर भेज दिया और मर्जी का अध्यक्ष बैठा दिया। थाने में शिकायत दी है। इस दौरान कांग्रेस पार्षद नाजिया आरिफ खान, फरहत बानो, नसरीन अब्दुल्ला, एहफाज मीर, रूशना अंबर, शाहिद बंदा, मीना विनोद मोरे, अजय उदासीन, अजय बालापुरकर, सलमा बानो, मीना महेंद्र सुरवाड़े, मोहम्मद इनाम अंसारी सहित अन्य मौजूद थे।
महापौर बोलीं- नियमानुसार हुआ बैठक का संचालन
इस मामले में महापौर माधुरी अतुल पटेल, पूर्व महापौर अतुल पटेल ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा-निगम अध्यक्ष ने अपनी मनमर्जी से सम्मेलन स्थगित कर 5 नवंबर को सम्मेलन आयोजन की तारीख तय कर दी। जबकि यह कामकाज संचालन के नियम 31 का उल्लंघन है। पार्षदों के जाने के बाद अध्यक्ष ने बैठक को 5 नवंबर तक स्थगित करने की घोषणा की। जबकि नियमानुसार यह होना चाहिए कि किसी भी बैठक को समय समय पर आगामी तारीख तक स्थगित करने के लिए बहुमत से निर्णय लिया जाता है। अध्यक्ष के चले जाने के बाद कामकाज संचालन के नियम 33-3 बिंदु का पालन करते हुए भाजपा पार्षद संभाजी सगरे, विनोद पाटिल की अध्यक्षता में शेष कामकाज पर चर्चा कर एजेंडे में शामिल विषय बजट आदि को नियमानुसार पारित किया गया। पूर्व महापौर अतुल पटेल ने कहा-अध्यक्ष द्वारा जान बूझकर 6 घंटे तक पार्षदों के प्रश्न उत्तर में समय व्यतीत कर केवल बैठक को स्थति कराने की मंशा से समय का दुरूपयोग किया गया। आज प्रस्तुत ज्ञापन में भी मनगढ़त आरोप लगाए गए हैं। यह सब निराधार हैं।
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