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मप्र की सीमा पर बसे लोनी गांव में नवाचार से आत्मनिर्भरता की ओर
बुरहानपुर। जिले के लोनी गांव में एक अनूठी पहल ने पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण महिलाओं की आत्मनिर्भरता को नई दिशा दी है। यहां की महिलाएं गुटखा और पान मसाले के खाली पाउच से सुंदर और उपयोगी चटाइयां बना रही हैं।
गौरतलब है कि गांव के बच्चे सड़क और आसपास से गुटखा पाउच इकट्ठा करते हैं और घर लाते हैं। महिलाएं इन पाउच को साफ करती हैं, फिर उनकी कटिंग और सिलाई करके चटाइयां तैयार करती हैं। यह काम न केवल पर्यावरण के लिए मददगार है, बल्कि महिलाओं को आय का साधन भी प्रदान कर रहा है।
इस पहल के फायदे
– गंदगी से छुटकारा: पाउच के कचरे को उपयोग में लाकर गांव और सड़कें साफ-सुथरी हो रही हैं।
– पशुओं की सुरक्षा: आवारा पशु अक्सर इन पाउच को खा लेते हैं, जिससे उन्हें नुकसान होता है। इस पहल ने इस समस्या को कम किया है।
– आर्थिक आत्मनिर्भरता: महिलाएं इन चटाइयों को 500 से 1000 रु. तक की कीमत में बेचती हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।
स्थानीय लोग क्या कहते हैं?
दत्तू मेढे का कहना है कि यह पहल ग्रामीण सफाई और रोजगार का बेहतरीन उदाहरण है। शारदा कैलाश धुंदले बाई ने बताया कि इन चटाइयों की सुंदरता और गुणवत्ता इतनी आकर्षक है कि लोग इन्हें देखकर तुरंत खरीद लेते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि इस प्रकार के छोटे-छोटे व्यवसायों को सरकारी समर्थन मिलना चाहिए। यदि इनके लिए बेहतर बाजार और प्रशिक्षण सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, तो यह काम बड़े स्तर पर किया जा सकता है।