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श्री गोकुल चंद्रमाजी मंदिर में भक्ति, सेवा और समर्पण की जीवंत कथा
बुरहानपुर। यह जीवन अनमोल है, और इसकी सार्थकता तभी है जब इसे उत्साह, ऊर्जा और आस्था से जिया जाए। जब मन प्रभु में रम जाए और कर्म सेवा में बदल जाएँ, तब जीवन अपने चरम आनंद को प्राप्त करता है। हमारी आस्था की असली परीक्षा तब होती है, जब विपरीत परिस्थितियों में भी हमारे होंठों पर प्रभु के प्रति धन्यवाद हो। जैसे कलम की स्याही से लिखावट का रंग तय होता है, वैसे ही हमारे विचारों से हमारे कर्मों का रंग झलकता है। मन जैसा होगा, जीवन भी वैसा ही बन जाएगा।
यह बात शनिवार को श्री गोकुल चंद्रमाजी मंदिर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान आदित्य मुखियाजी ने कही। आज मंगला आरती के पावन अवसर पर, श्री हरिकृष्ण मुखियाजी ने अत्यंत भावुक होकर सभी भक्तों को एक संदेश दिया। उन्होंने कहा श्री वल्लभाचार्य जी के उत्सव हेतु सभी बहनों ने एकरूपता में एक रंग की सुंदर साड़ियाँ तैयार की थीं। यह आयोजन हमारी भक्ति और एकता का प्रतीक बनने जा रहा था, लेकिन मानवता को दहला देने वाली एक दुखद घटना के चलते शोभायात्रा स्थगित करनी पड़ी। परंतु भावनाएँ अमर हैं। इन साड़ियों को संजोकर रखा गया है। जब अगला आयोजन होगा, तब यह एकता और भक्ति की धारा और भी तेज प्रवाहित होगी।
शब्दों में बहता प्रभु प्रेम
आदित्य भाई के प्रवचन ने हृदय के तारों को छू लिया। उनकी वाणी में ऐसा माधुर्य था कि ऐसा लगा जैसे स्वयं प्रभु उनके माध्यम से हमसे संवाद कर रहे हों। प्रवचन सुनकर कई भक्तों ने भावविभोर होकर यही कहा,
“आज जो सुना, वह जीवनभर स्मरण रहेगा।” सच ही है, जब भक्ति का दीपक जलता है, तब ज्ञान, श्रद्धा और सेवा तीनों ही उसके प्रकाश में नहाते हैं।
मंदिर में दर्शन नियमित होंगे
सात दिवसीय मनोरथ के कारण दर्शन व्यवस्था में अस्थायी परिवर्तन किया गया था। अब रविवार से दर्शन समय पुनः नियमित होंगे। मंगला आरती सुबह 8:15 से 9 बजे तक। पालना दर्शन सुबह 9:45 से 10:15 बजे तक। राजभोग दर्शन 10:45 से 11:15 बजे तक। शाम दर्शन 5:30 से 5:50 बजे तक। सायं आरती दर्शन 6:15 से 6:35 बजे तक। सभी भक्तजन समय का पालन करें और प्रभु कृपा का अनुभव करें।