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नारद जयंती – तीनों लोकों के पहले पत्रकार थे देवर्षि नारद
बुरहानपुर। मीडिया ट्रायल सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली चीज है। नारदजी के व्यक्तित्व को हम देखें तो उन्होंने हमारे तीनों लोकों के स्वामी विष्णुजी से बात की तो बहस नहीं की। शिवजी से, दानवों से भी बहस नहीं की, लेकिन वर्तमान में हम बहस पर टिके हुए हैं। सूचना के संचरण में बहस का कोई स्थान नहीं है। विचारों का संचरण होते रहना चाहिए।
यह बात विश्व संवाद केन्द्र एवं महर्षि नारद जयंती उत्सव समिति बुरहानपुर के तत्वावधान में नारद जयंती 25 मई शनिवार को स्थानीय राजस्थान भवन में आयोजित परिचर्चा में मुख्य वक्ता इन्दौर से पधारी निशा केवलिया ने कही। इस अवसर पर नगर के पत्रकार, साहित्यकार, प्रबुद्ध जन उपस्थित थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में आद्य पत्रकार महर्षि नारद जी के चित्र पर माल्यार्पण कर अतिथियों मुख्य वक्ता निशा केवलिया, कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ संपादक एवं साहित्यकार डॉ. सुरेन्द्र जैन भारती, विशेष अतिथि समाजसेवी विजय पोद्दार, खंडवा विभाग के प्रचार प्रमुख निलेश माहुलीकर, राजेश बिडियारे, जिले के पालक गजानन दुबे द्वारा द्वीप प्रज्वलित किया गया।
नारद एक व्यक्तित्व नहीं, बल्कि एक विचार है
मुख्य वक्ता श्रीमती केवलिया ने कहा आज मीडिया का प्रभाव समाज में इतना नहीं है जितना होना चाहिए। वहीं दूसरी ओर नारद के व्यक्तित्व पर चिंतन करें तो पत्रकारिता के लिए नारद एक प्रमाण है। हमारे संपर्क काफी जरूरी है। नारद एक व्यक्तित्व नहीं, बल्कि एक विचार है। नारद हमारे आध्यात्म का आधार हैं। सबसे महत्वपूर्ण चीज विश्वसनीयता है। सूचना का कोई स्थान मुकम्मल नहीं है कि यहीं से आनी चाहिए।
नारद जी के जीवन से स्व प्रेरणा ले
श्रीमती केवलिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि शास्त्रों के मुताबिक कठोर तपस्या के बाद नारद जी ने देवलोक में ब्रम्हऋषि का पद प्राप्त किया था। नारद जी एकमात्र ऐसे देवता थे, जिन्हें तीनों लोकों में भ्रमण करने का वरदान प्राप्त था। ब्रह्माजी के मानस पुत्र नारदजी ब्रह्माण्ड के संदेशवाहक कहे जाते हैं। नारद जी सदैव भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहते हैं। वह तीनों लोकों के पत्रकार भी कहे जाते हैं। नारद जी के जीवन से स्व प्रेरणा लेने की बात कहीं। उन्होंने बताया कि महर्षि नारद ब्रह्मांड के प्रथम पत्रकार होने के साथ एक आदर्श पत्रकार भी थे। आज की पत्रकारिता और पत्रकार नारद से सीख सकते हैं की तमाम विपरीत परिस्थितियां होने के बाद भी कैसे प्रभावी ढंग से लोक कल्याण की बात कही जाए।
वर्तमान पत्रकारिता को नारदीय आदर्श अपनाने की आवश्यकता
उन्होंने कहा कि देवर्षि नारद जी की पत्रकारिता समाज के लिए हितकारी व दुष्टों का संहार करने वाली थी। नारद जी की पत्रकारिता अध्यात्म पर आधारित थी। उन्होंने स्वार्थ, लोभ एवं माया के स्थान पर परमार्थ को श्रेष्ठ माना। महान विपत्तियों से मानवता की रक्षा का काम किया। वर्तमान समय में पत्रकारिता को नारदीय आदर्श अपनाने की आवश्यकता है।
प्रचार विभाग प्रमुख निलेश माहुलीकर ने महर्षि नारद जी के जीवन पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में उपस्थित पत्रकार एवं साहित्यकारों के प्रश्नों का समाधान मुख्य वक्ता निशा केवलिया द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन जिला प्रचार प्रमुख विजय महाजन ने किया तथा आभार मीडिया संवाद जिला प्रमुख संतोष निंभोरे ने माना। कार्यक्रम में पत्रकार, साहित्यकार एवं प्रबुद्ध जन उपस्थित रहें।