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जहां एक नाम पर नहीं बन सकी सहमति, उन जिलों में केन्द्रीय नेतृत्व लेगा निर्णय, महिलाओं को 33% प्रतिनिधित्व
मध्यप्रदेश में भाजपा जिलाध्यक्षों के नामों की पहली सूची 5 जनवरी को आना लगभग तय माना जा रहा है। हालांकि इस सूची में सभी 60 संगठनात्मक जिलों के नाम नहीं होंगे। जिन जिलों में किसी एक नाम पर आम सहमति नहीं बन सकी है, जिलों से दो या तीन नामों के पैनल भेजे गए हैं, ऐसे जिलों में अध्यक्ष का निर्णय केन्द्रीय नेतृत्व लेगा और नाम बाद में घोषित किए जाएंगे।
भाजपा के संगठन चुनाव के अंतर्गत सभी 65013 बूथों और 1313 मंडलों में रायशुमारी से बूथ कार्यकारिणी और मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति हो चुकी है। संगठन चुनाव के तीसरे चरण में जिलाध्यक्ष पद के निर्वाचन की प्रक्रिया जारी है। केन्द्रीय नेतृत्व की मंशा के अनुरूप प्रदेश में किसी भी स्तर पर अब तक निर्वाचन की स्थिति नहीं बनी है और सभी चुनाव रायशुमारी से हुए हैं। इसी क्रम में 55 शहरी एवं 5 ग्रामीण संगठनात्मक जिलों में जिलाध्यक्ष पद के लिए निर्वाचन की प्रक्रिया जारी है। यह चुनाव भी जिला निर्वाचन अधिकारियों और पर्यवेक्षकों के माध्यम से जिलों में रायशुमारी से ही कराया गया है। अधिकांश जिलों में एक से अधिक नामों पर चर्चा और रायशुमारी हुई। कुछ जिलों में तो एक नाम पर आम सहमति बन गई, लेकिन कई ऐसे जिले भी हैं, जहां दो या तीन कार्यकर्ताओं की मजबूत दावेदारी होने से स्थानीय संगठन एक नाम पर सहमति नहीं दे सका। सभी जिलों से नामों के पैनल केन्द्रीय नेतृत्व के पास भेजे गए हैं। ऐसे मामलों में अंतिम फैसला केन्द्रीय नेतृत्व ही करेगा।
नेताओं की आपत्ति से रुकेंगे कई नाम
भारतीय जनता पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता अपने-अपने क्षेत्रों में अपने समर्थक कार्यकर्ताओं को जिलाध्यक्ष बनवाना चाहते हैं। ग्वालियर-चम्बल, निमाड़- मालवा, बुंदेलखंड-विंध्य के ज्यादातर जिलों में वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप के चलते कई जिलों की सूचियां अटक सकती हैं।
आज पैनल पर चर्चा
प्रदेश भर में हुई रायशुमारी के बाद बनाए गए पैनल पर गुरुवार (2 जनवरी) को प्रदेश भाजपा कार्यालय में जिलेवार वन-टू-वन चर्चा होगी। बीजेपी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा जिला निर्वाचन अधिकारियों से पैनल पर चर्चा करेंगे।
33 प्रतिशत महिलाओं को जगह
भाजपा 33 प्रतिशत महिलाओं को संगठन में जगह देने की तैयारी में है। बूथ समितियों में इसका पालन किया गया है। अब पार्टी की कोशिश है कि जिला अध्यक्षों के चयन में भी 33 प्रतिशत महिलाओं की हिस्सेदारी रहे। इसके लिए कई नामों की चर्चा भी है। प्रदेश में महिलाओं की सत्ता-संगठन में हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिशें हो रही है। यही वजह है कि राज्य से राज्यसभा में भी तीन महिला सांसद हैं।