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बुरहानपुर की महिलाओं ने बनाया इतिहास: केले के रेशे से बनी टोपी ने पहुंच बनाई साउथ अफ्रीका
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बुरहानपुर की महिलाओं का नवाचार: साउथ अफ्रीका से 10 टोपियों का ऑर्डर मिला
बुरहानपुर। केले के रेशे से बने उत्पादों ने न केवल स्थानीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी है। जिले की महिलाओं द्वारा तैयार की गई केले के रेशे से बनी टोपी ने साउथ अफ्रीका तक अपनी पहुंच बनाई है। आईआईटी इंदौर के एक प्रोजेक्ट के तहत साउथ अफ्रीका से आए प्रतिनिधि ने इन टोपियों को इतना पसंद किया कि उन्होंने 10 टोपियों का ऑर्डर दिया।
केले के पौधे से समृद्धि की ओर
बुरहानपुर जिले में केले की खेती को बढ़ावा देने और इससे जुड़े नवाचारों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने “एक जिला, एक उत्पाद” योजना के तहत केला को जिले की मुख्य फसल के रूप में चयनित किया है।
– केले के फसल से फल निकालने के बाद बचने वाले अवशेषों को वेस्ट न मानकर उपयोगी उत्पादों में बदला जा रहा है।
– महिलाओं के स्व-सहायता समूहों द्वारा टोपी, टोकरी, झूमर, चटाई, पेन स्टैंड, राखी और अन्य उत्पाद बनाए जा रहे हैं।
महिलाओं की आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रयास
– बुरहानपुर जिले में 46,646 महिलाएं स्व-सहायता समूहों से जुड़ी हैं।
– आजीविका मिशन के माध्यम से महिलाओं को ट्रेनिंग, अन्य राज्यों का भ्रमण, और बाजार में उनके उत्पादों की मांग बढ़ाने के अवसर दिए जा रहे हैं।
– परियोजना प्रबंधक श्रीमती संतमती खलखो ने बताया कि महिलाओं ने केले के फाइबर से तैयार उत्पादों की मांग में लगातार वृद्धि देखी है।
साउथ अफ्रीका में पहुंची बुरहानपुर की टोपी
– अनुसुईया दीदी को आईआईटी इंदौर ने 5 किलो केले के रेशे की आपूर्ति का ऑर्डर दिया था।
– इंदौर में प्रोजेक्ट के दौरान साउथ अफ्रीका के एक प्रतिनिधि को उनकी बनाई टोपी इतनी पसंद आई कि उन्होंने तुरंत 10 टोपियों का ऑर्डर दिया।
महत्व और प्रभाव
– यह पहल न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है बल्कि स्थानीय उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का जरिया बन रही है।
– केले के रेशे से बने उत्पाद “वेस्ट से बेस्ट” का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं।