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जयस के आंदोलन के बाद लोक निर्माण विभाग ने स्वीकृत किया था रोड निर्माण, बारिश भी खत्म फिर भी लापरवाही
बुरहानपुर। जय आदिवासी युवा संगठन के विरोध के बाद लोक निर्माण विभाग ने नेपनगर क्षेत्र के ग्राम सागफाटा से मांडवा तक रोड निर्माण का काम स्वीकृत किया। इसके टेडर भी जारी कर दिए गए, लेकिन बारिश बीतने के बाद भी इसका काम अब तक चालू नहीं कराया गया है। इसके कारण आमजन को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि अगस्त माह में लोक निर्माण विभाग ने इस रोड के निर्माण के लिए नए टेंडर जारी किए हैं, लेकिन अब तक रोड निर्माण का काम चालू नहीं किया गया है। इसके कारण आमजन को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आलम यह है कि यहां वाहन अपनी क्षमता ही खो रहे हैं। उबड़ खाबड़ रोड की चढ़ाई चढ़ते चढ़ते वाहन दम तोड़ रहे हैं। पिछले दिनों एक ट्रैक्टर ट्रॉली चालक गिट्टी भरकर ले जा रहा था। इस दौरान ट्रैक्टर पलटने से युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था तो वहीं यहां से अब चार पहिया वाहन भी बड़ी मुश्किल से निकल पा रहे हैं।
10 किमी लंबे रोड का होना है निर्माण
मांडवा से सागफाटा तक करीब 10 किमी लंबे रोड का निर्माण 999.93 लाख यानी 10 करोड़ की लागत से होगा। लोक निर्माण विभाग इंदौर परिक्षेत्र के मुख्य अभियंता की ओर से अगस्त माह में रोड निर्माण की निविदा जारी की गई थी, लेकिन नवंबर माह शुरू हो गया है। अब तक इसका काम चालू नहीं कराया गया है।
पहले 11 करोड़ की लागत से बनना था रोड
खास बात यह है कि पहले यह रोड करीब 11 करोड़ की लागत से बनना था। ठेकेदार ने थोड़ा काम कराया था। मौके पर जगह जगह सीमेंट के पाइप भी पुलियाओं में डालने के लिए लाकर रखे गए हैं, लेकिन काम पूरा नहीं कराया गया था। अब शेष बचा काम 10 करोड़ में पूरा होगा। इस बीच सात साल में न सिर्फ रोड की निर्माण लागत बढ़ गई, बल्कि आमजन की फजीहत भी बढ़ी है। यह रोड इतना खराब है कि यहां से आमजन को निकलना मुश्किल पड़ता है। पूरे रोड पर जगह जगह कीचड़ ही कीचड़ है।
2016-17 में स्वीकृत हुअ था रोड
2016-17 में स्वीकृत इस रोड की लागत 7 साल में बढ़ गई, क्योंकि कम दर पर कोई भी ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं था। मांडवा से सागफाटा तक करीब 10 किमी लंबे रोड की स्थिति काफी खराब है। इससे आमजन को आने जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बारिश में स्थिति ज्यादा खराब हो जाती है। यह रोड 2016-17 में स्वीकृत हुआ था, लेकिन अब तक नहीं बना। जिस ठेकेदार को लोक निर्माण विभाग ने काम दिया था उसने काम पूरा नहीं कराया। उसने यह काम पेटी कांट्रेक्ट पर दे दिया था। पेटी कांट्रेक्टर काम समय पर पूरा नहीं करा पाया और इसी बीच वन विभाग से मिली एनओसी खत्म हो गई थी, क्योंकि यह रोड वन क्षेत्र से होकर गुजरता है।
जयस संगठन ने किया था विरोध
रोड निर्माण की मांग को लेकर स्थानीय ग्रामीणों और जयस संगठन ने विरोध दर्ज कराया था। कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर भी विरोध प्रदर्शन किया गया था। 2016-17 में काम चालू हुआ था, लेकिन कुछ ही दिन चला था। इसके बाद काम बंद हो गया था। तब से यह रोड उसी स्थिति में है। लोक निर्माण विभाग ठेकेदार ने काम पूरा नहीं कराया और केस भी लगा दिया था। इसके बाद विभाग ने उसे टर्मिनेट कर दिया। अब नए सिरे से टेंडर लगाए गए, लेकिन काम अब तक चालू नहीं कराया गया।