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मुर्दों के नाम पर लाभ उठाने वाले सरपंच, उप सरपंच 6 साल तक नहीं लड़ पाएंगे चुनाव, पद से हुए अयोग्य

  • ग्राम पंचायत मांडवा में मृत श्रमिकों की समग्र आईडी से की थी छेड़छाड़, तत्कालीन सचिव की भी सेवा समाप्त

बुरहानपुर। मुर्दों के नाम पर खुद लाभ उठाने, दूसरे लोगों को गलत तरीके से लाभ देने के मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। ग्राम पंचायत मांडवा के सरपंच, उप सरपंच को पद से अयोग्य कर दिया गया है। अब वह छह साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे तो वहीं तत्कालीन सचिव की सेवा समाप्त कर दी गई।
गौरतलब है कि पिछले दिनों नेपानगर क्षेत्र की ग्राम पंचायत मांडवा में मृतकों की समग्र आईडी से छेड़छाड़ कर 8 लोगों को 16 लाख रूपए का गलत तरीके से संबल योजना के तहत लाभ पहुंचाने का मामला सामने आया था। इसमें नेपानगर थाने में सरपंच तुलसीराम, उप सरपंच संजय जाधव और तत्कालीन सचिव सुनिल पटेल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। अब जिला पंचायत सीईओ सृष्टि देशमुख ने धारा 40 के तहत सरपंच, उप सरपंच को छह साल के लिए पद से हटा दिया है। अब वह छह साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। न ही पंचायत के सदस्य रह पाएंगे। वहीं तत्कालीन सचिव सुनिल पटेल की सेवा समाप्त कर दी गई है।
जांच में आई सारी गड़बड़ी
दरअसल ग्राम पंचायत मांडवा में संबल योजना के तहत शिकायत मिलने पर कलेक्टर भव्या मित्तल ने जांच के आदेश दिए थे। जिला पंचायत सीईओ सृष्टि देशमुख ने मामले की जांच के लिए जनपद पंचायत खकनार के तहत तीन सदस्यीय दल गठित कर जांच कराई। जिसमें संबंधित जांच दल ने ग्राम पंचायत मांडवा का मौका स्थल पर उपस्थित होकर जांच की। जांच में पाया गया कि ग्राम पंचायत मांडवा में मृत श्रमिकों के मृत्यु के बाद उनकी समग्र आईडी से छेड़छाड़ कर ई-संबल कार्ड जारी कराया जाकर संबल योजना के तहत अनुग्रह सहायता राशि 16 लाख रूपए प्रदाय की गई।
जिला पंचायत की ओर से राशि वसूली गई थी
मामले की गंभीरता को लेते हुए जिला पंचायत द्वारा पुख्ता जांच के बाद राशि की वसूली की गई। वहीं सरपंच, उपसरपंच, सचिव के खिलाफ नेपानगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई। पद पर रहते हुए अपने पद का दुरूपयोग करने पर सरपंच, उप सरपंच को मध्यप्रदेश पंचायत राज व ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 के तहत पद से पृथक किया गया है। अब वह तत्काल रूप से ग्राम पंचायत मांडवा के सदस्य नहीं रहेंगे। अधिनियम के तहत निर्वाचन के लिए 6 साल तक अयोग्य रहेंगे। विभागीय जांच व सत्यापन के बाद पाया गया कि सचिव ने गंभीर लापरवाही बरती। इसलिए सचिव को मध्यप्रदेश पंचायत राज ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 69- 1द व मध्यप्रदेश पंचायत सेवा नियम 2011 के अनुशासन, नियंत्रण के तहत पंचायत सचिव सुनिल पटेल की सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त की गई है।

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