30.2 C
Burhānpur
Sunday, April 20, 2025
30.2 C
Burhānpur
spot_img
Homeमध्यप्रदेशसदैव की खबर का असर- गैर शैक्षणिक कार्य में लगे शिक्षकों को...
Burhānpur
clear sky
30.2 ° C
30.2 °
30.2 °
21 %
2.3kmh
1 %
Sun
43 °
Mon
42 °
Tue
44 °
Wed
44 °
Thu
41 °
spot_img

सदैव की खबर का असर- गैर शैक्षणिक कार्य में लगे शिक्षकों को मूल पदस्थापना वाली जगह भेजेंगे

  • लोक शिक्षण संचालनालय ने जारी किया आदेश

बुरहानपुर। शिक्षकों का पढ़ाई से मोह भंग हो गया है वह स्कूलों में बाबूगिरी और छात्रावासों में अधीक्षक बनकर बैठे हैं। इसे लेकर सदैव में 21 जुलाई को खबर प्रकाशित हुई। राज्य सरकार ने इसे संज्ञान में लिया और 22 जुलाई को ही मप्र के सभी कलेक्टर, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, सभी संभागीय संयुक्त संचालकों, जिला शिक्षाधिकारियों को पत्र भेजकर लोक शिक्षण संचालनालय ने ऐसे शिक्षकों को अपनी मूल पदस्थापना वाली जगह पर भेजने के लिए कहा है।
जारी आदेश में आयुक्त लोक शिक्षण शिल्पा गुप्ता ने लिखा- शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 27 के प्रावधानों और न्यायालयीन प्रकरण में पारित निर्णयों के अनुसार शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाए जाने के निर्देश समय समय पर प्रदान किए जाते हैं। इसके बाद भी प्रदेश के जिलों में शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जाता है। लगाया जा रहा है। इसलिए निर्देशित किया जाता है कि गैर शैक्षणिक कार्य में लगे सभी शिक्षकों को मूल पदस्थापना के लिए कार्यमुक्त कर शिक्षण कार्य सुनिश्चित कराएं। भविष्य में शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाए जाने की स्थिति में संबंधित अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
यह है पूरा मामला-
जिले की सरकारी स्कूलों और जनजातीय विभाग के आश्रम, छात्रावासों में अधीक्षक सहित अन्य काम संभाल रहे शिक्षक बच्चों को पढ़ाना ही नहीं चाहते। कुछ तो सालों से बाबूगिरी में लगे हैं। मप्र सरकार के नियम के अनुसार शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जा सकता, लेकिन इस नियम का न तो शिक्षा विभाग में पालन हो रहा है और न ही जनजातीय विभाग में। कुछ शिक्षक अफसर तो कुछ अधीक्षक बनकर घूम रहे हैं। खास बात यह है कि कुछ पद अपने स्तर से ही तय कर लिए गए हैं जिन पर शिक्षक काबिज होकर घूम रहे हैं जबकि राज्य सरकार स्तर से ऐसे कोई पद हैं ही नहीं। शिक्षा विभाग की बात करें तो इस विभाग में कुछ शिक्षक बाबूगिरी में लगे है। कुछ फील्ड में अफसर बनकर घूम रहे हैं जबकि उनका मूल काम विद्यार्थियों को स्कूल में जाकर पढ़ाना है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। डीपीसी रविंद्र महाजन डीपीसी कार्यालय में किसी भी तरह के संलग्नीकरण की बात से इनकार कर रहे हैं। वहीं जिले में जनजातीय विभाग के करीब 40 से अधिक छात्रावास, आश्रम हैं। जहां लंबे समय से शिक्षक ही अधीक्षक बने हुए हैं। विभाग की ओर से उन्हें अधीक्षक बनाकर बैठा दिया जाता है।
जनसुनवाई में हो चुकी है शिकायत
इसे लेकर पिछले दिनों प्रगति नगर के सुनिल गुप्ता ने जनसुनवाई में इसकी शिकायत की थी। जिसमें कहा गया था कि एक प्रधान पाठक, एक माध्यमिक शिक्षक, 2 प्राथमिक शिक्षक अपनी मूल शालाओं में सेवाएं नहीं दे रहे हैं। यह शिक्षक लिपिकवर्गीय काम कर रहे हैं। इससे स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। एपीसी के पद पर भी शिक्षक पदस्थ है। इसकी जांच होना चाहिए।

spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular

Recent Comments

spot_img
spot_img