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बुरहानपुर एसडीओ बोले- अंतराम अवासे पर 11 केस दर्ज, हम कानूनविदों से ले रहे सलाह
बुरहानपुर। एक दिन पहले जागृत आदिवासी दलित संगठन के कार्यकर्ता अंतराम अवासे के जिला बदर के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए संभागायुक्त और कलेक्टर के आदेश को अवैध बताया था। इस मामले में प्रदेशभर में हलचल मची हुई है, क्योंकि कोर्ट ने राज्य सरकार पर 50 हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया गया है। साथ ही मुख्य सचिव को भी कहा गया था कि वह कलेक्टरों की बैठक लें और राजनीतिक दबाव में ऐसी कार्रवाई न हो। अब इस मामले में प्रशासन की ओर से अपना पक्ष रखने की तैयारी की जा रही है।
गौरतलब है कि जिलाबदर की कार्रवाई को हाईकोर्ट ने अनुचित बताया है। अंतराम अवासे ने कलेक्टर के आदेश को इंदौर संभागायुक्त के यहां चुनौती दी थी। वहां से भी राहत नहीं मिलने पर उन्होंने हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा तब इस मामले में आदेश सामने आया। इसे लेकर वन विभाग बुरहानपुर एसडीओ अजय सागर ने कहा अंतराम अवासे पर 11 केस दर्ज हैं जिसमें 6 में तो वह सीधे सीधे आरोपी हैं और अन्य 5 में वह सह आरोपी बनाए गए थे। उन पर कार्रवाई जारी थी। दो एफआईआर भी दर्ज हैं। आदतन अपराधी थे। जंगलों को नुकसान पहुंचाया जा रहा था। इसलिए विभाग ने जिला बदर की कार्रवाई का प्रस्ताव दिया था। 23 जनवरी 24 को कलेक्टर ने उन्हें जिला बदर किया था। वहीं इस मामले में हाईकोर्ट जबलपुर ने अवासे का जिला बदर आदेश खारिज कर उनकी याचिका स्वीकार करते हुए राज्य सरकार पर 50 हजार रूपए का जुर्माना लगाया। यह राशि कलेक्टर से वसूलने के लिए अधिकार भी दिए। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि मुख्य सचिव सभी कलेक्टरों की बैठक लें और इस तरह की जिला बदर की कार्रवाई न करने को कहा।
माधुरी बेन का प्रस्ताव हुआ था खारिज, हम फैक्ट एकत्रित कर रहे
इसे लेकर एसडीओ अजय सागर का कहना है कि 2022-23 में जिले के वनों को जिन माफियाओं ने नुकसान पहुंचाया उसमें यह लोग शामिल थे। माधुरी बेन का भी जिला बदर का प्रस्ताव दिया गया था। कलेक्टर ने उन्हें जब शोकाज नोटिस दिया गया था तो वह हाईकोर्ट में चैलेंज करने पहुंची थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी चैलेंज निरस्त कर दिया था। हाईकोर्ट ने यह माना था कि वन अपराध भी जिला बदर अधिनियम 1990 के तहत है इसलिए उन पर कार्रवाई की जा सकती है, क्योंकि वन लोक संपत्ति है और लोक संपत्ति को कोई नुकसान पहुंचाता है तो उस पर यह कार्रवाई की जा सकती है। इसके बाद माधुरी बेन को जिला बदर किया गया था। वहीं अब जबलपुर कोर्ट का आदेश आया जिसमें न्यायालय ने माना कि वन विभाग के प्रकरण को कंसिडर नहीं किया जा सकता है। इसके खिलाफ हम अपील में जाएंगे, क्योंकि दोनों निर्णय हाईकोर्ट के ही हैं इसलिएं पहले वाले निर्णय को आधार बनाकर फैक्ट एकत्रित कर रहे है। कानूनी सलाह ली जा रही है।