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कांग्रेस नेताओं के सवाल- जिला प्रशासन के अफसर आखिर कब कराएंगे मामले की जांच, सालों से जमे अफसर, कर्मचारियों को क्यों दी जा रही मोहलत
बुरहानपुर। जिला पंजीयक विभाग के एक बाबू जी जो अब साहब भी बन गए हैं वह अगर एक पेंसिल चला दें तो किसी की ताकत नहीं कि वह रजिस्ट्री करा ले। दरअसल यह मामला जिला पंजीयक कार्यालय का ही है जहां चढ़ावा नहीं मिलने पर रजिस्ट्रियां नहीं की जाती।
सूत्रों के अनुसार यहां एक बाबूजी हैं जो अब साहब बन गए हैं। उन्हें सालों से यहां रहते ही प्रमोशन मिल गया है। वह सर्विस प्रोवाईडरों के माध्यम से कमीशन खाते हैं, लेकिन कभी सामने नहीं आते। खास बात यह है कि जिस व्यक्ति ने कमीशन देने में आना कानी की तो उसकी रजिस्ट्री नहीं हो पाती। बाबूजी उस पर केवल एक पेंसिल चला देते हैं। इसके बाद रजिस्ट्री करने वाले कर्मचारी स्टाफ खुद ही समझ जाते हैं कि यह रजिस्ट्री नहीं करना है। इसके बाद शुरू होता है पंजीयक कार्यालय के चक्कर काटने का सिलसिला। संबंधित की रजिस्ट्री तब तक नहीं होती जब तक कि वह चढ़ावा न चढ़ा दे।
गौरतलब है कि पंजीयक कार्यालय में कुछ अफसर, कर्मचारी, बाबू सालों से पदस्थ हैं। वह अकूत संपत्ति के मालिक भी बन चुके हैं। कॉलोनाइजरों से भी उनकी अच्छी सांठगांठ है। कईं जगह वह प्रापर्टी में बराबर के पार्टनर भी हैं। इसकी जांच हो तो कईं परतें खुल सकती है। यहां सालों से पदस्थापना होने के बाद अगर तबादला होता है तो वह कुछ ही दिनों बाद निरस्त भी करा लेते हैं। इसे लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए और ईडी से भी जांच की मांग की है। वहीं कांग्रेस जिलाध्यक्ष रिंकू टाक ने कहा कि आखिर क्या वजह है कि जिला प्रशासन के अफसर इस मामले की जांच तक नहीं करा रहे हें। सालों से जमे अफसर, कर्मचारियों को इतनी मोहलत क्यों दी जा रही है।
और इधर,
अब एआईएमआई भी आया मैदान में, लगाए खुलकर आरोप
एआईएमआईएम के शहर अध्यक्ष व अधिवक्ता जहीर उद्दीन शेख ने कलेक्टर को शिकायत की है कि पंजीयक कार्यालय में सर्विस प्रोवाईडरों के माध्यम से होने वाली अवैघ वसूली पर रोक लगना चाहिए और ऐसे अधिकारियों पर सख्ती से कार्रवाई होना चाहिए। शिकायत में उन्होंने कहा कि जिले के नागरिक पंजीयक विभाग की आए दिन शिकायतें कर रहे हैं। जब भी कोई व्यक्ति कोई संपत्ति क्रय करता है तब सर्विस प्रोवाईडर उनसे उप पंजीयक और संबंधित बाबू, चपरासी के नाम से राज्य सरकार के शुल्क के अलावा दो से तीन प्रतिशत राशि की वसूली की जाती है। राशि न देने पर कईं गलतियां रजिस्ट्री में निकाल दी जाती है। अनावश्यक विलंब किया जाता है। मानसिक, आर्थिक रूप से परेशान किया जाता है। बिना किसी हक अधिकार के अतिरिक्त राशि वसूली जा रही है। संपत्ति क्रेताओं को आर्थिक नुकसान हो रहा है। अतिरिक्त दो से तीन प्रतिशत राशि वसूली जा रही है। जो विधि के विपरीत होकर भ्रष्टाचार अधिनियम के प्रावधानों के तहत गंभीर प्रकृति का अपराध है। इस पर रोक लगना चाहिए। ताकि आमजन को परेशानी से बचाया जा सके। सर्विस प्रोवाईडरों के माध्यम से हो रही इस अवैध वसूली की जांच की जाए।