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Tiger’s death- नेपानगर क्षेत्र के हसनपुरा दक्षिण के जंगल में मृत मिला टाईगर

  • भोपाल, महाराष्ट्र से पहुंची वन विभाग की टीम, सीसीएफ खंडवा, डीएफओ बुरहानपुर की मौजूदगी में हुआ पोस्टमार्टम

बुरहानपुर। टाईगर की मौत का मामला सामने आने के बाद जिले के वन विभाग में हड़कंप मच गया। इसकी गूंज भोपाल और महाराष्ट्र तक भी पहुंची। दरअसल शुक्रवार शाम को नेपानगर वन परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 197 में एक टाईगर मृत अवस्था में मिला। दूसरे दिन शनिवार को वन विभाग डीएफओ विजय सिंह, खंडवा सीसीएफ की मौजूदगी में टाईगर का आठ डॉक्टरों की पैनल ने पोस्टमार्टम किया। वहीं भोपाल के अलावा महाराष्ट्र से भी वन विभाग की टीम नेपानगर पहुंची, क्योंकि बुरहानपुर जिले की सीमा टाईगर रिजर्व मेलघाट क्षेत्र से लगी हुई है। वहां से अकसर वन्यप्राणी तेंदुए, बाघ का मूवमेंट बुरहानपुर के जंगलों में होता रहता है। मृत बाघ को रात भर निगरानी में रखा गया। अगले दिन शनिवार को भोपाल वन विहार से आए वन्य प्राणी चिकित्सकों, बुरहानपुर पशु चिकित्सा विभाग उपसंचालक डॉ. हीरा सिंह भवर के साथ आए चार अन्य पशु चिकित्सकों इस तरह कुल आठ डॉक्टर्स की पैनल ने मृत बाघ के शरीर का बारीकी से निरीक्षण किया। वन्य प्राणी विशेषज्ञों ने बताया मृत बाघ की उम्र लगभग 10 से 12 वर्ष है। आमतौर पर खुले जंगल बाघ की औसत आयु भी 12 से 15 वर्ष की रहती है। इस आधार पर माना जा सकता है कि अधिक आयु का होने से बाघ की प्राकृतिक मृत्यु हुई है, लेकिन फिर भी पुष्टि के लिए विसरा रिपोर्ट का इंतजार किया जाएग।
बाघ के शरीर पर चोट के निशान नहीं
पोस्ट मार्टम के दौरान वन्य प्राणी चिकित्सकों द्वारा बताया गया कि मृत नर बाघ के शरीर पर कहीं भी चोट आदि के निशान नहीं है। मृत बाघ के विसरा सैंपल सुरक्षित किए गए जिन्हें लेबोरेटरी इंदौर भेजा जाएगा। इस दौरान खंडवा वृत्त के मुख्य वन संरक्षक रमेश गणावा, वन मंडल अधिकारी बुरहानपुर विजय सिंह सहित वन स्टॉफ उपस्थित रहा। पोस्टमॉर्टम के बाद मुख्यालय भोपाल के निर्देश पर रमेश गणावा मुख्य वन संरक्षक खंडवा, विजय सिंह डीएफओ बुरहानपुर, तहसीलदार नेपानगर जितेन्द्र अलावा, स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि, उपसंचालक पशु चिकित्सा हीरा सिंह भवर की उपस्थिति में अंतिम अवशेष नष्ट होने तक भस्मीकरण किया गया।
कईं बार लोगों पर हो चुके हैं हमले
क्षेत्र में वन्यप्राणी तेंदुए भी काफी अधिक संख्या में है। उनकी उपस्थिति तो समय समय पर देखने को मिलती ही है। साथ ही कईं बार लोगों पर हमले भी हो चुके है। कुछ माह पहले ही धूलकोट क्षेत्र में तेंदुए ने कुछ ग्रामीणों पर हमला किया था। बाद में वन विभाग की टीम ने उसका रेस्क्यू किया था। वहीं कईं बार नगरीय क्षेत्र नेपानगर और आसपास के गांवों में भी तेंदुए घूमते पाए गए हैं। इसे लेकर वन विभाग कार्ययोजना बनाने की बात भी कह रहा है।
वन कटाई के कारण पड़ा खासा असर
खकनार, बोदरली, नेपानगर, नावरा सहित आसपास के वन क्षेत्रों में पहले के सालों में काफी बड़े पैमाने पर वन कटाई हुई है। इसके कारण भी अब वन्य प्राणी आसानी से नजर आते हैं, क्योंकि जंगल कम हुआ है, हालांकि एक साल पहले जिला प्रशासन, पुलिस और वन विभाग की मदद से बाहरी अतिक्रमणकारियों को खदेड़ दिया गया। इसके बाद नया वन विकसित करने के लिए लाखों की संख्या में पौधारोपण किया गया, लेकिन पौधों को पेड़ बनने में काफी समय लगेगा।
वर्जन-
शिकार जैसा नहीं लग रहा है
– वन्यप्राणियों की आवाजाही क्षेत्र में अधिक है। टाईगर का शव मिला है, लेकिन ऐसा नहीं लग रहा है कि उसका शिकार किय गया हो। आठ डॉक्टर्स की पैनल ने पोस्टमार्टम किया है। हर बिंदु पर गहनता से जांच कर रहे हैं।
– विजय सिंह, डीएफओ बुरहानपुर

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