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इस बार लोकसभा चुनाव के लिए अब तक घोषित नहीं किया गया कांग्रेस की ओर से कोई प्रत्याशी
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18 को जारी हो सकती है लिस्ट, हाल ही में चुनाव हारे ठाकुर सुरेंद्र सिंह भी हैं दावेदार
बुरहानपुर। लोकसभा चुनाव के लिए 16 मार्च को आदर्श आचार संहिता लागू हुई है। इससे काफी दिनों पहले ही भारतीय जनता पार्टी ने सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया, लेकिन कांग्रेस में अब तक भी किसी एक नाम पर न तो सहमति बनी है न ही यह पता चल पा रहा है कि कौन कौन दावेदार हैं। केवल अरूण यादव और ठाकुर परिवार से ठाकुर सुरेंद्र सिंह का नाम चल रहा है। ठा. सुरेन्द्र सिंह हाल ही में बुरहानपुर विधानसभा चुनाव हार चुके हैं तो वहीं अरूण यादव 2019 में दिवंगत सांसद नंदकुमार सिंह चौहान से चुनाव हारे थे। खास बात यह है कि खुद अरूण यादव भी पहले खंडवा संसदीय सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे, लेकिन बाद में वह मान गए। इसी बीच पार्टी ने तय किया कि बड़े नेताओं को अपने तरीके से चुनिंदा सीटों पर उतारा जाएगा। तब गुना संसदीय सीट से अरूण यादव को उतारने की बात सामने आई, लेकिन बताया जा रहा है कि वहां से न तो अरूण यादव चुनाव लड़ने की इच्छा जता रहे हैं और न ही उनके करीबी समर्थक उन्हें वहां से लड़ाने के पक्ष में हैं।
यादव समाज के 22 फीसदी वोट, इसलिए अरूण यादव पर दांव
खास बात यह है कि गुना संसदीय सीट से अरूण यादव का नाम चर्चाओं में आने की सबसे प्रमुख वजह गुना संसदीय क्षेत्र में यादव समाज की जनसंख्या का अधिक होना है। बताया जा रहा है कि करीब 22 फीसदी वोटर्स यादव समाज के हैं। इसलिए अरूण यादव को वहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने चुनाव लड़ाने की भी तैयारी है, लेकिन अरूण यादव समर्थक इससे खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि जब भी बलिदान की बात आती है तो अरूण यादव को आगे कर दिया जाता है। इससे पहले भी तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के सामने अरूण यादव को खड़ा किया गया था और और अरूण यादव विधानसभा चुनाव हार गए थे। अब फिर पार्टी की ओर से जिद की जा रही है कि वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने गुना से चुनाव लड़ें।
ठाकुर परिवार से किसी एक को टिकट की संभावना
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार दावेदारी में पूर्व विधायक ठाकुर सुरेंद्र सिंह का नाम भी है, लेकिन विधानसभा चुनाव में उन्हें हराने के लिए गुटबाजी खुलकर सामने आई थी। निष्ठावान कांग्रेस का गठन कर लिया गया था और एआईएमआईएम से एक प्रत्याशी को चुनाव में खड़ा करा दिया गया था। कहा जा रहा था कि अगर एआईएमआईएम को खड़ा नहीं किया जाता तो ठा. सुरेन्द्र सिंह विधायक होते। इसलिए उनके नाम पर फिर विरोध की स्थित उपज सकती है। ऐसे में उनके परिवार से भी किसी एक को टिकट दिए जाने की चर्चाएं हैं। 18 मार्च को कांग्रेस की सूची जारी होने वाली है। इसके बाद स्थिति स्पष्ट होगी कि कांग्रेस किसे अपना उम्मीदवार बनाती है।
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