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मप्र कांग्रेस कमेटी ने कुछ माह में ही छह साल के लिए निष्कासित नेताओं को पार्टी में वापस लिया
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अरूण यादव का बढ़ा कद, कराई अपने समर्थकों की पार्टी में वापसी
बुरहानपुर। आखिरकर अरूण यादव ने अपने समर्थकों की पार्टी में वापसी करवा ही ली। कांग्रेस के ही नेता नहीं चाहते थे कि जिन बागियों ने विधानसभा चुनाव में पार्टी का गणित गड़बड़ा दिया उन्हें पार्टी इतनी जल्दी वापस ले, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण यादव के आगे विरोधी नेताओं की नहीं चली और गुरूवार को मप्र कांग्रेस कमेटी ने बागियों को वापस लिए जाने का पत्र जारी कर दिया। इसके बाद से कांग्रेस में उत्साह का माहौल है। इधर भाजपा में अब तक किसी भी बागी नेता की वापसी नहीं हुई है। खास बात यह है कि पार्टी में इसे लेकर किसी प्रकार की चर्चा भी नहीं है।
गौरतलब है कि कुछ माह पहले ही हुए विधानसभा चुनाव में बगावत करने वाले पार्टी नेता, कार्यकर्ताओं को मप्र कांग्रेस कमेटी ने 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इसमें करीब 100 से अधिक नेता, कार्यकर्ता, पार्षद आदि शामिल थे, लेकिन अब लोकसभा चुनाव को देखते हुए उन्हें वापस पार्टी में ले लिया गया है। हालांकि इसे लेकर काफी दबाव था, लेकिन संगठन ने चुनाव को लेकर पिछली गलतियां माफ करते हुए नेता, कार्यकर्ताओं का निष्कासन रद्द कर दिया।
गुरूवार दोपहर जारी हुआ आदेश
गुरूवार दोपहर उपाध्यक्ष संगठन प्रभारी मप्र कांग्रेस कमेटी राजीव सिंह की ओर से पत्र जारी कर 9 कांग्रेस नेताओं का निष्कासन रद्द किया गया है। इसमें 7 बुरहानपुर, 1 नेपानगर और एक कांग्रेस नेता खंडवा के है। जारी सूची में राजीव सिंह उपाध्यक्ष संगठन प्रभारी ने लिखा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के निर्देश पर विधानसभा चुनाव 2023 के समय निष्कासित किए गए पदाधिकारियों का निष्कासन रद्द किया जाता है। इसके बाद अजय सिंह रघुवंशी पूर्व प्रदेश महामंत्री, नूर काजी पूर्व कार्यवाहक शहर अध्यक्ष, उबेद शेख उपनेता प्रतिपक्ष नगर निगम, अबरार साहब पार्षद, अब्दुल्ला अंसारी ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष व पार्षद, हमीद उल्ला उर्फ हमीद डायमंड पार्षद प्रतिनिधि, अकील औलिया, अंतरसिंह बर्डे नेपानगर और मोहन ढाकसे खंडवा शामिल हैं।
अरूण यादव ने कराई समर्थकों की वापसी
लोकसभा चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण यादव ने चुनाव न लड़कर अपने समर्थक नरेंद्र पटेल को मैदान में उतारा है। इसकी जिम्मेदारी उन्होंने खुद ली है और वह जगह-जगह उनको लेकर प्रचार करने जा रहे हैं। हाल ही में ईद के मौके पर अरूण यादव का विधानसभा चुनाव के समय निष्कासित कांग्रेस नेताओं से घर जाकर मिलना इसी बात का संकेत था कि सभी निष्कासित नेताओं की संगठन में जल्द वापसी होगी, लेकिन कांग्रेस के ही कुछ नेता इसका विरोध कर रहे थे। इधर पार्टी ने लोकसभा चुनाव को तरजीह दी और निष्कासित नेताओं को वापस पार्टी में ले लिया।
कांग्रेस डूबता जहाज
गत विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा में भी बड़ी बगावत देखने को मिली थी। सैकड़ों पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने एकसाथ थोकबंद इस्तीफा दिया था। जिसकी गूंज प्रदेश एवं केंद्र के नेताओं तक पहुंची थी। कांग्रेस में निष्कासितों की वापसी के बाद अब भाजपा में भी बागियों की वापसी की अटकले तेज़ हो गई है। भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. मनोज माने ने कहा भाजपा के निष्कासितों को वापस लेने का निर्णय प्रदेश नेतृत्व करेंगा। भाजपा का संगठनात्मक ढांचा काफी मजबूत है और कांग्रेस डूबता जहाज है।
विधानसभा चुनाव के समय भाजपा ने हर्षवर्धन सिंह चौहान को टिकट न देकर पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस को प्रत्याशी बनाया था। इसका खासा विरोध हुआ था। खुद हर्षवर्धन ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। साथ ही कई भाजपा नेता, कार्यकर्ताओं ने थोकबंद तरीके से इस्तीफे दिए थे, लेकिन लोकसभा चुनाव को देखते हुए भी पार्टी ने बागियों की वापसी को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया है।