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Saturday, November 16, 2024
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जिले में वन्यजीवों की मौतों से बढ़ी चिंता: फॉरेंसिक रिपोर्ट्स का बड़ा खुलासा

  • नेपानगर में मृत अवस्था में मिले बाघ की मौत की वजह अधिक उम्र

  • फरवरी में राष्ट्रीय पक्षी मोर मृत अवस्था में मिला था, मौत का कारण खेतों में डाले जाने वाला किटनाशक आया सामने

बुरहानपुर। जिले में हाल ही में वन्यजीवों की तीन अलग-अलग मौतों की फॉरेंसिक रिपोर्ट्स सामने आई हैं। इन रिपोर्ट्स ने वन्यजीव संरक्षण की स्थिति को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बाघ, तेंदुआ, और राष्ट्रीय पक्षी मोर की इन मौतों में प्राकृतिक कारणों के साथ-साथ मानवजनित गतिविधियों का भी बड़ा योगदान सामने आया है।
तेंदुए की मौत: पार्वो वायरस ने ली जान
जुलाई 2024 में नावरा रेंज के नयाखेड़ा क्षेत्र में एक तेंदुआ मृत पाया गया था। फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट में उसकी मौत का कारण पार्वो वायरस बताया गया है। यह वायरस आमतौर पर कुत्तों में पाया जाता है, लेकिन तेंदुए में संक्रमण होना वन विभाग के लिए चौंकाने वाला है।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इसी वायरस के कारण जुलाई में एक अन्य तेंदुआ बेहोशी की हालत में मिला था। इलाज के बाद उसे जंगल में छोड़ा गया, लेकिन यह घटना जंगल के जानवरों में वायरस संक्रमण की गंभीरता को दर्शाती है।
राष्ट्रीय पक्षी मोर की मौत: कीटनाशकों का असर
फरवरी 2024 में बोदरली रेंज में एक राष्ट्रीय पक्षी मोर मृत पाया गया था। फॉरेंसिक रिपोर्ट ने खुलासा किया कि मोर की मौत खेतों में इस्तेमाल किए जाने वाले आर्गेनोफॉस्फोरस और मोनोक्रिप्टोफस जैसे कीटनाशकों से हुई।
यह रसायन, जो फसलों को कीटों से बचाने के लिए इस्तेमाल होते हैं, वन्यजीवों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। खेतों के आसपास रहने वाले पक्षी और अन्य वन्यजीव इन जहरीले रसायनों का शिकार हो रहे हैं।
बाघ की मौत: उम्र का प्रभाव
नेपानगर रेंज में एक माह पहले एक बाघ मृत अवस्था में मिला था। फॉरेंसिक जांच के अनुसार, उसकी मौत का कारण अधिक उम्र थी। यह एकमात्र मामला है, जिसमें मौत प्राकृतिक कारणों से हुई।
वन विभाग ने इस बाघ के विसरा की जांच के लिए 7 डॉक्टरों की टीम भेजी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, उसकी उम्र के कारण शरीर कमजोर हो चुका था, जो उसकी मौत का कारण बना।
फॉरेंसिक रिपोर्ट्स में देरी: बड़ा मुद्दा
वन्यजीवों की मौत के कारणों का पता लगाने में अक्सर फॉरेंसिक रिपोर्ट्स में देरी होती है। नावरा रेंज के तेंदुए की रिपोर्ट आने में तीन महीने का समय लगा। यदि यह रिपोर्ट समय पर आती, तो वायरस के प्रसार को रोका जा सकता था।
डीएफओ विजय सिंह का कहना है कि रिपोर्ट्स में देरी वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती है। समय पर रिपोर्ट्स मिलने से न केवल मौत के कारणों का पता चलेगा, बल्कि प्रभावी कार्रवाई भी की जा सकेगी।
वन्यजीव संरक्षण की दिशा में जरूरी कदम
बुरहानपुर में वन्यजीवों की इन मौतों ने एक गंभीर सवाल खड़ा किया है:
• क्या खेतों में कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग नियंत्रित होगा?
• क्या वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए जंगलों में वायरस के प्रसार को रोकने के उपाय किए जाएंगे?
वन्यजीव संरक्षण केवल वन विभाग की जिम्मेदारी नहीं है। इसे एक सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है, जिसमें किसान, पशु चिकित्सक, और स्थानीय समुदाय की भूमिका अहम है।

वन्यजीव संरक्षण के लिए बुरहानपुर में प्रस्तावित महात्मा गांधी अभ्यारण्य

बुरहानपुर जिले में वन्यजीवों की सुरक्षा और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए महात्मा गांधी अभ्यारण्य बनाने का प्रस्ताव चर्चा में है। यह अभ्यारण्य खकनार और बोदरली रेंज के लगभग 40,000 एकड़ क्षेत्र को कवर करेगा। राज्य सरकार ने इस प्रस्ताव की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए हाल ही में स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।
अभ्यारण्य के लाभ और विशेषताएं:
• वन्यजीवों की सुरक्षा: यह क्षेत्र मेलघाट टाइगर रिजर्व की सीमा से सटा हुआ है, जिससे बाघ, तेंदुए और अन्य वन्यजीव अक्सर इस इलाके में आते-जाते रहते हैं। अभ्यारण्य बनने से इन जानवरों को सुरक्षित स्थान मिलेगा।
• प्राकृतिक जैव विविधता: खकनार और बोदरली रेंज में 21 से अधिक प्रकार के वन्यजीव और जैव विविधता मौजूद हैं, जो अभ्यारण्य के तहत संरक्षित होंगे।
• पर्यटन को बढ़ावा: प्रस्तावित अभ्यारण्य से क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या बढ़ने की संभावना है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
प्रस्तावित क्षेत्र और प्रक्रिया:
महात्मा गांधी अभ्यारण्य में खकनार रेंज के 54 गांव और बोदरली रेंज के सात वन कक्ष शामिल होंगे।
• कुल प्रस्तावित क्षेत्र: 15,358.80 हेक्टेयर।
• अतिक्रमित क्षेत्र: 989.89 हेक्टेयर, जिसमें 23 गांव और 359 लोगों का निवास है।
• वनाधिकार अधिनियम के तहत दावे: इन क्षेत्रों को अधिकारिक रूप से अधिग्रहित करने और विस्थापन की जरूरत को न्यूनतम रखने की प्रक्रिया चल रही है।
ग्रामीणों के लिए रोजगार और विकास के अवसर:
इस प्रस्ताव में खास ध्यान रखा गया है कि आसपास के ग्रामीणों को विस्थापित न किया जाए। डीएफओ विजय सिंह ने बताया कि युवाओं को रोजगार देने के लिए योजनाएं तैयार की जा रही हैं।
• पर्यटन गाइड, वन्यजीव संरक्षण कार्यकर्ता, और इको-टूरिज्म से जुड़ी नौकरियां युवाओं को दी जा सकती हैं।
अभ्यारण्य की आवश्यकता:
बुरहानपुर का वन क्षेत्र मेलघाट और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बीच स्थित है। यह क्षेत्र टाइगर और अन्य वन्यजीवों के आवागमन के लिए महत्वपूर्ण कॉरिडोर का हिस्सा है।
• वन्यजीवों की बढ़ती गतिविधियों के कारण यहां संरक्षित क्षेत्र का निर्माण जरूरी है।
• यह प्रस्ताव 2019 में तैयार किया गया था और अब प्रक्रिया के अंतिम चरण में है।
अभिमत और सरकारी रिपोर्ट:
• सांसद, विधायकों, और जिला पंचायत अध्यक्ष सहित सभी जनप्रतिनिधियों ने अभ्यारण्य के पक्ष में सहमति जताई है।
• राज्य सरकार को प्रस्ताव से जुड़ी विस्तृत जानकारी और स्थिति रिपोर्ट भेजी गई है।
पर्यावरण संरक्षण और टूरिज्म के लिए बड़ी उम्मीद
महात्मा गांधी अभ्यारण्य से न केवल वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि बुरहानपुर जिले में इको-टूरिज्म को भी नई दिशा मिलेगी। यह परियोजना ग्रामीण विकास, रोजगार और पर्यावरण संरक्षण का एक बेहतरीन उदाहरण बन सकती है।

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