19.9 C
Burhānpur
Friday, November 15, 2024
19.9 C
Burhānpur
Homeमध्यप्रदेशजनजातीय विभाग में हुए घोटाले में आरोपी बनाई गई तत्कालीन सहायक आयुक्त...
Burhānpur
overcast clouds
19.9 ° C
19.9 °
19.9 °
50 %
2kmh
94 %
Fri
31 °
Sat
31 °
Sun
31 °
Mon
31 °
Tue
29 °
spot_img

जनजातीय विभाग में हुए घोटाले में आरोपी बनाई गई तत्कालीन सहायक आयुक्त की अग्रिम जमानत कोर्ट से खारिज 

  • सहायक आयुक्त कार्यालय में नियम के विपरीत खाता खोलकर ट्रांजेक्शन का मामला, 15 फरवरी 17 से 24 अगस्त 19 तक बुरहानपुर में पदस्थ थीं रंजना सिंह

बुरहानपुर। जनजातीय विभाग में पिछले कुछ माह पहले करीब 10 करोड़ से अधिक का घोटाला सामने आया था। इस मामले में हाल ही में कोर्ट ने 7 साल में सहायक आयुक्त रहे 8 अफसरों के खिलाफ केस दर्ज करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद सभी के नाम पहले से ही की गई एफआईआर में जोड़ दिए गए हैं तो वहीं तत्कालीन सहायक आयुक्तों में हड़कंप मचा हुआ है। एक तत्कालीन सहायक आयुक्त रंजना सिंह बुरहानपुर में 15 फरवरी 17 से 24 अगस्त 19 के बीच पदस्थ रही हैं। उनकी ओर से कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन लगाया गया, लेकिन कोर्ट ने जमानत आवेदन खारिज कर दिया है।
इन सहायक आयुक्तों के खिलाफ केस दर्ज करने के मिले थे निर्देश
साल 2010 से 2017 के बीच जनजातीय विभाग में कईं सहायक आयुक्त और आहरण संवितरण अधिकारी रहे। इनमें 5 अप्रैल 2010 से 6 अगस्त 2010 तक एससी मार्को, 6 अगस्त 2010 से 6 जून 2011 तक मोहिनी श्रीवास्तव, 3 जून 2011 से 3 अप्रैल 2013 तक एमके मालवीय, 4 अप्रैल 2013 से 12 जून 2013 तक डिप्टी कलेक्टर केएल यादव प्रभारी सहायक आयुक्त रहे थे। 12 जून 2013 से 15 सितंबर 2014 तक बीएस डावर, 17 सितंबर 2015 से 18 दिसंबर 2015 तक अरूण महाजन, 12 जनवरी 2015 से 2 जून 2015 तक डिप्टी कलेक्टर केएल यादव, 5 जून 2015 से 23 दिसंबर 2016 तक प्राचार्य अरूण महाजन, 23 दिसंबर 2016 से 5 फरवरी 2017 तक तत्कालीन एसडीएम सोहन कनाश और 5 फरवरी 2017 से 21 जून 2017 तक रंजना सिंह प्रभारी सहायक आयुक्त रही थीं।
इन आधार पर मांगी अग्रिम जमानत
– तत्कालीन सहायक आयुक्त रंजना सिंह पति जगदीश जोशी निवासी सुदामा नगर इंदौर ने न्यायालय प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश तपेश कुमार दुबे के न्यायालय में जमानत आवेदन लगाकर कहा मुझे अनुचित रूप से आरोपी बनाया गया है। खाता 2016 में चालू किगा गया था। पदभार ग्रहण करने से पहले खाते में किसानों के खेतों के विद्युतीकरण के मद की राशि जमा की जा चुकी थी और मद के कार्य पर राशि का व्यय किया जाना आवश्यक था। इसलिए आवेदिका द्वारा वरिष्ठ अधिकारी से विधिवत अनुमति लेकर राशि का भुगतान उक्त योजना में किया गया। आवेदिका के कार्यकाल में कोई भी राशि उक्त बैंक खाते में जमा नहीं की गई। मात्र जारी डीडी निरस्त होने पर डीडी की राशि खाते में वापस आई है। आवेदिका के पदभार ग्रहण करने के लिए 4 माह में ही बैंक खाते में धारित राशि शून्य कर दी गई थी और कार्यकाल में उक्त खाता बंद करवा दिया गया था।
इन आधारों पर कोर्ट ने खारिज की अग्रिम जमानत
– पूर्व में अभियोग पत्र पेश हुआ उस समय आवेदिका को अनुसंधान में आरोपी नहीं पाया था। विचारण न्यायालय ने 23 सितंबर 23 के अनुसार वर्ष 2011 से 2017 तक पदस्थ सहायक आयुक्तों विरूद्ध संज्ञान लिया है। इस संबंध में पुलिस द्वारा बारीकी से अनुसंधान करना बताया गया है। बैंक में 25 जून 10 से 26 जून 17 तक अनाधिकृत रूप से करोड़ों रूपयों का गबन किया गया है। इस अवधि में आवेदिका सहायक आयुक्त के पद पर रही थी। अनुसंधान पूरा हुए बिना अभियुक्ता की निर्दोषिता नहीं की जा सकती। व्यापक तौर पर शासकीय राशि का गबन कर आर्थिक अनियमितता की गई है जिस स्थिति को देखते हुए आवेदिका रंजना सिंह को उनके द्वारा प्रस्तुत न्याय दृष्टात के तथ्य व परिस्थिति अलग होने से अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाना उचित प्रकट नहीं होता है। इसलिए उनका जमानत आवेदन खारिज किया जाता है।

spot_img
spot_img
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

spot_img
spot_img