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वन विभाग की टीम ने भावसा मध्यम सिंचाई परियोजना डैम में चलाया रेस्क्यू ऑपरेशन
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सागौन के लठ्ठों को पानी में छोड़कर बनाया रास्ता, एसडीओ बोले, इसके सहारे बाहर निकल आएंगे बंदर
बुरहानपुर। करीब 5 माह से पेड़ पर रहकर कभी पत्तियां तो कभी छाल खा रहे बंदरों की आखिरकर वन विभाग ने सुध ले ही ली। मंगलवार दिनभर बंदरों को बाहर निकालने की कवायद चलती रही। वन विभाग एसडीओ अजय सागर भी खुद मौके पर पहुंचे और पानी में उतरकर वनकर्मियों के साथ बंदरों को बाहर निकालने का प्रयास किया, लेकिन यह प्रयास भी फिलहाल नाकाफी साबित हुआ है।
दरअसल शाहपुर क्षेत्र में भावसा मध्यम सिंचाई परियोजना का काम चल रहा है। जुलाई माह में बारिश के कारण यहां बने डैम में अचानक ज्यादा पानी आ गया। इसके कारण करीब 40 से अधिक बंदर फंस गए थे। जिसमें कुछ बंदरों की मौत भी हो गई थी। वहीं तब से लेकर अब तक यहां करीब 4-5 बंदर इमली के एक पेड़ पर फंसे हुए हैं। खास बात यह है कि उन्हें उतारने के लिए वन विभाग ने महाराष्ट्र से तैराक तक बुला लिए, लेकिन बंदर पेड़ से नीचे ही नहीं उतर रहे हैं। डेम की गहराई भी काफी अधिक है। वन विभाग ने यहां एक नाव भी रखी थी, लेकिन बंदर उसमें नहीं बैठे। मंगलवार को वन विभाग एसडीओ अजय सागर के नेतृत्व में टीम यहां पहुंची और दिनभर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया।
पानी में सागौन के लठ्ठे डालकर बनाया रास्ता
बंदरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए पानी में सागौन के लठ्ठे डालकर रास्ता बनाया गया है ताकि बंदर बाहर निकल आएं। एक दिन पहले डैम इंजीनियर शुभम राठौर और कर्मचारी प्रकाश ठाकुर द्वारा यहां बंदरों पर दूरबीन से नजर रखी जा रही थी तब भी करीब चार पांच बंदर ईमली के पेड़ पर नजर आ रहे थे।
बारिश के दौरान फंसे थे, अब जाकर ली सुध
भावसा सिंचाई डैम में बारिश में पानी जमा होने से काफी संख्या में बंदर यहीं फंस गए थे। इसमें से करीब 4-5 बंदर अभी भी फंसे हुए हैं। अब बंदर इमली के पेड़ की पत्तियां और छाल खाकर जान बचा रहे थे। वन विभाग ने अब जाकर इसकी सुध ली है। हालांकि अफसरों का कहना है कि हम लगातार प्रयास कर रहे थे। डैम में काफी अधिक पानी है और यह गहरा भी है इसलिए समस्या आ रही है। साथ ही लोगों को देखकर बंदर भी बाहर निकल नहीं रहे हैं।
वर्जन-
दिनभर चलाया रेस्क्यू आपरेशन
– विभाग की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। आज दिनभर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। महाराष्ट्र से तैराक भी बुलाए गए थे। पहले नाव भी रखी गई थी, लेकिन बंदर उसमें नहीं बैठे थे। सागौन के लठ्ठे से रास्ता बनाकर उस पर खाने की सामग्री रखी गई है ताकि बंदर बाहर आज आएं।
-अजय सागर, एसडीओ वन बुरहानपुर