-
प्रसंग – श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर-
-
राम सबके थे, सबके हैं पर कांग्रेस नेता राम के कब हुए : मालू
-
भाजपा प्रवक्ता गोविंद मालू के उल्टी-पुल्टी कांग्रेस (UPC) से तीखे सवालों का सिलसिला जारी
1. 27 जुलाई 1984 को हिंदुओं की ओर से राम भक्तों ने महंत अवैद्यनाथ जी के नेतृत्व में श्री राम जन्म भूमि मुक्ति यज्ञ समिति बनाई, जन जागरण रथ निकाला जो 25 सितम्बर को बिहार से 08 अक्टूबर को अयोध्या पहूंचा क्या यह किसी राजनैतिक दल का अभियान था, या भारत की बहुसंख्यक जनता का। इसी में लखनऊ के हजरत महल पार्क में हुई रैली में नारे लगे थे ‘‘लोकतंत्र की देखों शान, बंदी बने हुए भगवान’’ ये नारे कांग्रेस के लिए नही थे क्या?
2. जीवन भर राम और आयोध्या में राम मंदिर बनाने का विरोध करने वाले आज कह रहे है, कि राम तो सबके है। हाँ वो सबके थे, सबके हैं, लेकिन कांग्रेस और उसके नेता राम के कब थे ?
श्रीराम को तो कांग्रेस नें मिथक माना, श्रीराम को भारत का प्राण नहीं माना, श्रीराम सेतु के अस्तित्व को नकारा क्या यह राम द्रोह नहीं था?
3. ए.एस.आई.के निदेशक रहे पद्मश्री डॉ. के.के. मोहम्मद ने कहा था ‘‘ यहां हिन्दू मंदिर था पुरातात्विक अवशेषों पर उनके जैसा नमाज़ी कहता है यहाँ स्वर्णिम इतिहास दफन है, इसलिए समतलीकरण का कार्य वैज्ञानिक ढंग से होना चाहिए उन्होने किताब लिखी “आई.एम.इंडियन’’। मुहम्मद 1976-77, की खुदाई के दौरान प्रो.बी.बी.लाल की पुरातत्व टीम के सदस्य भी थे।
4. मुस्लिमों द्वारा इस समस्या के समाधान के लिये श्री राम जन्म स्थान पर दावा छोडने की पेशकश की थी, लेकिन कांग्रेसी वामपंथियों ने ऐसा नहीं होने दिया ताज्जुब यह की प्रो. आर.एस. शर्मा, सूरजभान, डी.एन. झा जैसे कांग्रेस पोषित वामपंथी क्या बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के विशेषज्ञों के रूप में कमेटी की बैठकों में भाग नहीं लिया था? क्या यही धर्म/पंथ निरपेक्षता थी ?
5. जुलाई 1989 में न्यायालय में जो वाद था वह ‘‘ रामलला विराजमान ’’ स्थान जन्म भूमि वादी था, तो भाजपा व संघ वहां कहां से आ गये जैसा की कांग्रेस का आरोप है यह लड़ाई देश के करोडो सनातनी राम भक्तों ने मानसिक व शारीरिक लड़ी इसलिए श्रेय तो भक्तों को जाता है। भक्त कांग्रेस भी हो सकती थी ? लेकीन विहिप, भाजपा ने भगवान के काम में सहयोग किया क्या ? राम काज में मीन-मेख निकालने वाले कलयुग के असुर नहीं है ?
6. राम ज्योति, रामचरण पादुका पूजन, विजय मंत्र जाप, शिलापूजन व कार सेवा के जन जागरण का कार्यक्रम, सत्याग्रह का आव्हान धर्मसंसद द्वारा किया संतो के आदेश को मानते हुए विहिप ने ही 77 वें संघर्ष को प्रारम्भ किया। क्या गौ रक्षा की मांग करने वाले संतो पर 1966 में गोली चलाने वाली इंदिराजी की कांग्रेस, संतो के आदेश को नहीं मान सकती थी ?