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Thursday, November 14, 2024
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जनता के धन को और देश की संपत्ति को लूटना, कांग्रेस अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझती है – विष्णुदत्त शर्मा

  • विरासत टैक्स के बहाने आपके पूर्वजों की संपत्ति घुसपैठियों को सौंपना चाहती है कांग्रेस

  • मोदी जी की प्राथमिकता देश के गरीब हैं, लेकिन कांग्रेस की प्राथमिकता एक विशेष समुदाय है

  • ‘इटालियन’ कांग्रेस ‘अमेरिकन’ टैक्स को भारत में लागू करना चाहती है

  • कांग्रेस के खतरनाक इरादों और देश की जनता के बीच मोदी जी दीवार बनकर खडे हैं

  • ’भ्रम’ और ‘असत्य’ की विपक्षी ‘साजिश को न्यायालय ने दिखाया आईना

  • ईवीएम ने विपक्षी दलों का सुप्रीम कोर्ट में भी नहीं दिया साथ, न्यायालय का फैसला स्वागत योग्य

  • भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व खजुराहो सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने पन्ना में पत्रकार-वार्ता को संबोधित किया

पन्ना। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व खजुराहो सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने शनिवार को पन्ना के होटल शान्वी लेंडमार्क में पत्रकार-वार्ता को संबोधित करते हुए विरासत टैक्स और ईवीएम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा। वहीं खजुराहो-पन्ना लोकसभा क्षेत्र की जनता का मतदान के लिए आभार जताया। साथ ही यह आश्वासन दिया कि उनके अतुलनीय मत का कर्ज वह आगामी 5 सालों में विकास के नये आयाम स्थापित करके चुकाएंगे। प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की प्राथमिकता देश के गरीब हैं, लेकिन कांग्रेस की प्राथमिकता एक विशेष समुदाय है। ‘इटालियन’ कांग्रेस ‘अमेरिकन’ टैक्स को भारत में लागू करना चाहती है, कांग्रेस के इन खतरनाक इरादों और देश की जनता के बीच मोदी सरकार एक दीवार बनकर खड़ी है। जनता के धन को लूटना, देश की संपत्ति को लूटने, कांग्रेस अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझती है। विरासत टैक्स के बहाने अपने पूर्वजों की संपत्तियां, घुसपैठियों को कांग्रेस सौंपना चाहती है। सैम पित्रोदा के बयान ने कांग्रेस का मकसद साफ और स्पष्ट कर दिया है कि वह बहुसंख्यकों की संपत्ति को जब्त कर इसे अल्पसंख्यकों के बीच वितरित करने का इरादा रखती है।
कांग्रेस के मंसूबे सफल नहीं होंगे ये मोदी की गारंटी है
प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के चेहरे से पूरी तरह नकाब उतर गया है। कांग्रेस के प्रथम परिवार के सलाहकार सैम पित्रोदा जैसे ‘छोटे-छोटे टाईम बाम्ब’ कांग्रेस में बैठे हैं जो देश के बाहर जाकर भारत में ‘षड्यंत्र के धमाके’ कर रहे हैं। भारत में कांग्रेस आम आदमियों को जेब खाली करने के लिए 45 से 55 प्रतिशत विरासत टैक्स लगाने की बात कांग्रेस कर रही है, सैम पित्रोदा जिस अमेरिकन टैक्स की बात कर रहे हैं, वहां (अमेरिका में) भी इस टैक्स पर विवाद है। अमेरिका के सिर्फ 6 राज्यों में इस टैक्स को वसूलने की व्यवस्था है, लेकिन लूटो और शासन करों की नीति पर चलने वाली ‘इटालियन’ कांग्रेस ‘मुंगेरी लाल के हसीन सपने’ देखते हुए इस टैक्स को भारत में लागू करने की बात कर रही है। एक तरफ यह टैक्स लादकर आम जनता को तबाह करेंगे। जनता की संपत्तियों को जबरन कब्जे में लेंगे, फिर घुसपैठियों को देंगे, जिनका भारत से कोई संबंध नहीं है. यह तो अच्छा हुआ कि 2014 में कांग्रेस की विदाई हो गई, वरना कांग्रेस तभी लागू कर चुकी होती।
7 लाख पर नहीं लगता कोई टैक्स, कांग्रेस लेगी 1 लाख पर करीब 40 प्रतिशत
प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि आज अगर आपकी सालाना आय 5 लाख है तो भाजपा आपकी आय पर कोई टैक्स नहीं लगाती, लेकिन सैम पित्रोदा की स्कीम कांग्रेस सत्ता में आकर लागू करेगी तो जनता को 1 लाख सालाना आय पर करीब 30 से 40 प्रतिशत कांग्रेस को देना होगा। आजादी के समय कांग्रेस ने धर्म के नाम पर देश का विभाजन किया था, कांग्रेस को लगता है कि यही उसके फायदे का रास्ता है और आज एक बार फिर कांग्रेस सत्ता की कुर्सी के लिए छटपटा रही है। कांग्रेस फिर से धार्मिक तुष्टीकरण को मोहरा बना रही है। इंदिरा गांधी के निधन के बाद उनकी विरासत का एक हिस्सा उनके बच्चों के मिलने से पहले सरकार ने छीन लिया था, क्योंकि कांग्रेस ने पहले भी ऐसा कानून बनाया था, लेकिन अपनी संपत्ति को बचाने के लिए इंदिरा गांधी के पुत्र और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने विरासत कर कानून को खत्म कर दिया था और इंदिरा गांधी की पूरी संपत्ति बिना टैक्स दिए अपने नाम कर ली थी। कांग्रेस नेता देश की जनता पर विरासत टैक्स लगाकर उनकी आधी संपत्ति लूटना चाहती है। आज इसलिए देश कह रहा है कि ‘’कांग्रेस की लूट, जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी’’।
राहुल गांधी बार-बार कह रहे संपत्तियों की जांच कराएंगे
मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए कहा था कि ‘’देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है। शाही परिवार के शहजादे राहुल गांधी देश की संपत्ति और महिलाओं के गहने-जेवरों का सर्वे कर जब्त करने और उसे अपने वोटबैंक में बांटने की सार्वजनिक रूप घोषणा कर रहे हैं। हमारी माताओं-बहनों के पास मौजूद सोने के आभूषण केवल विशेष अवसरों पर पहनने के लिए नहीं है, बल्कि वह स्त्री धन होता है और उसे बहुत पवित्र माना जाता है। अब कांग्रेस और इंडी गठबंधन की नजर कानून बदलकर माताओं और बहनों की संपत्ति और उनके मंगलसूत्र पर है। कांग्रेस और इंडी गठबंधन की नजर अब जनता की कमाई और संपत्ति पर है। कांग्रेस के शहजादे राहुल गांधी का कहना है कि उनकी सरकार बनने पर कौन कितना कमाता है, किसके पास कितनी संपत्ति है, किसके पास कितना धन है, कितने मकान है, उन सब की जांच करवाई जाएगी। कांग्रेस सत्ता में आने पर मध्यप्रदेश के कुशवाहा, यादव, गुर्जर, गड़रिया और धाकड़ प्रजापति समाज के आरक्षण को छीन कर अपने चहेते वोट बैंक को देने का मन बना कर बैठी है। कांग्रेस यह भी सर्वे करना चाहती है कि जो नौकरी करने वाले लोग हैं उन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई और शादी के लिए जो रकम बचा कर रखी है उसकी भी जांच की जाएगी। कांग्रेस की यह सोच माओवादी सोच है। ऐसा ही करके पहले न जाने कितने ही देश बर्बाद हो चुके हैं और अब यही नीति कांग्रेस पार्टी और इंडी गठबंधन भारत में लागू कर जनता की मेहनत की कमाई पर कांग्रेस अपना पंजा मारना चाहती है।
विपक्षी दलों का ईवीएम ने सुप्रीम कोर्ट में भी साथ नहीं दिया
प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि भ्रम’ और ‘असत्य’ की विपक्षी ‘साजिश’ को न्यायालय ने आईना दिखा दिया है। देश को ईवीएम से हटाकर उसे 50 साल पीछे ले जाने के लिए बैलट पेपर से चुनाव की विपक्ष की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। ईवीएम पर दुष्प्रचार करके विपक्षी दलों ने प्रजातंत्र को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है। सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के अनुसार ईवीएम से कोई छेड़छाड़ व खिलवाड़ नहीं हो सकता है। ईडी गठबंधन के हर नेता ने ईवीएम को लेकर जनता के मन में संदेह पैदा करने का पाप किया है,लेकिन आज देश के लोकतंत्र और बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान की ताकत देखिए, सुप्रीम कोर्ट ने मतपेटियों को लूटने का इरादा रखने वालों को ऐसा गहरा झटका दिया है कि उनके सारे सपने चूर-चूर हो गए हैं। ईवीएम के बहाने अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए विपक्ष द्वारा बार-बार बोले जा रहे झूठ पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है। बेहतर होगा विपक्ष असल मुद्दों पर चुनाव लड़े, क्योंकि इनकी सोच- विचारधारा को जनता व न्यायालय दोनों ने ही ठुकरा दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि चुनाव परिणाम में दूसरे या तीसरे नंबर पर आने वाले किसी प्रत्याशी को कोई आशंका है तो वह चुनाव परिणाम आने के 7 दिन के भीतर शिकायत कर सकता है। शिकायत के बाद ईवीएम बनाने वाली कंपनी के इंजीनियर्स इसकी जांच करेंगे। विपक्षी दलों का ईवीएम से वीवीपैट की 100 प्रतिशत पर्ची का मिलान करने की मांग तर्क संगत नहीं थी। न्यायालय ने शिकायत के बाद 5 प्रतिशत ईवीएम की जांच का रास्ता भी खोल दिया है। अगर किसी पार्टी या प्रत्याशी को परेशानी या शक है तो वह चुनाव आयोग से शिकायत करके विधानसभा क्षेत्रवार 5 प्रतिशत ईवीएम की जांच भी करा सकता है। यह भी माननीय न्यायालय का स्वागत योग्य फैसला है।
इस अवसर पर पूर्व मंत्री व विधायक ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह, जिला अध्यक्ष ब्रजेन्द्र मिश्रा, लोकसभा संयोजक सदानंद गौतम एवं प्रदेश सह मीडिया प्रभारी आशीष तिवारी उपस्थित रहे।

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