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तकनीकी क्रांति- दुनिया की पहली स्कूली AI लैब की शुरुआत मैक्रो विज़न से

  • 6वीं से एआई, रोबोटिक्स की पढ़ाई शुरू, 12वीं तक बनेंगे फ्यूचर रेडी

  • 18 हजार स्क्वायर फीट में दुनिया की पहली स्कूल टेक लैब

  • 12 प्रयोगशालाएं, 400 IMAX सिस्टम, बच्चों को स्किल देगी डिग्री से पहले नौकरी की ताकत

बुरहानपुर। भारत में तकनीकी शिक्षा को लेकर आज तक जो सोचा भी नहीं गया, वह कर दिखाया है मध्यप्रदेश के छोटे से शहर बुरहानपुर ने। यहां की मेक्रो विजन एकेडमी ने वह सपना साकार कर दिया है जिसे अब तक इंजीनियरिंग कॉलेजों तक सीमित माना जाता था। अब यहां कक्षा 6वीं से ही बच्चे मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, वेब डेवलपमेंट, डेटा साइंस, एनीमेशन और उद्यमिता जैसे हाईटेक विषयों की पढ़ाई करेंगे—वो भी 18,000 वर्ग फीट में फैली दुनिया की पहली स्कूल टेक लैब में।
शिक्षा में बदलाव: अब नहीं भागना पड़ेगा डिग्री के पीछे
मेक्रो विजन एकेडमी के डायरेक्टर आनंद प्रकाश चौकसे ने कहा बच्चे डिग्री नहीं, स्किल लेकर निकलेंगे। यही असली शिक्षा का भविष्य है। श्री चौकसे बताते हैं कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए अब परीक्षाएं इतनी कठिन हो चुकी हैं कि 70–80% लाने वाला बच्चा भी पीछे छूट जाता है। हमने तय किया कि जब बच्चे कंप्यूटर साइंस, रोबोटिक्स जैसे कोर्स के लिए कॉलेज जाते हैं, तो क्यों न स्कूल में ही उन्हें यह सब सिखाया जाए?
ग्रामीण भारत में तकनीकी क्रांति की शुरुआत
बुरहानपुर जैसे छोटे शहर से यह पहल सिर्फ एक स्कूल नहीं, पूरे ग्रामीण भारत के लिए उदाहरण बन रही है। यहां 12 अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं, 400 IMAX कंप्यूटर और वैश्विक स्तर की टेक्नोलॉजी मौजूद है। “अब तकनीक का केंद्र सिर्फ दिल्ली-मुंबई नहीं, बुरहानपुर भी है।”
फ्यूचर रेडी जेनरेशन: 12वीं तक नौकरी लायक स्किल
श्री चौकसे ने कहा इस प्रयोग का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि बच्चे 12वीं के बाद सीधे किसी टेक कंपनी में जॉब कर सकेंगे। उन्हें रेगुलर डिग्री नहीं, पार्ट टाइम डिग्री की जरूरत होगी क्योंकि स्किल उनके पास पहले से होगी। यह प्रयोग अगर सफल रहा तो भारत की शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। स्कूलों में ही वह सिखाया जाएगा, जिसके लिए अब तक इंजीनियरिंग कॉलेजों की दौड़ लगानी पड़ती थी।
ट्रायल कल से शुरू, उद्घाटन जुलाई में प्रस्तावित
• चौकसे ने बताया अभी हम इस टेब लैब को 9 जून से ट्रायल के बतौर चालू कर देंगे, क्योंकि कुछ मशीनें जर्मनी से भी आने वाली है।
• 27 जुलाई को इसक विधिवत तरीके से उद्घाटन होगा इसके लिए देश के शिक्षामंत्री से समय मांगा गया है ताकि वह इस अनोखी लैब का उद्घाटन करें।
‘नॉर्मल’ बच्चों को भी मिलेगा बड़ा मंच
श्री चौकसे ने कहा अब तक टैलेंट का मतलब 90%+ स्कोर समझा जाता था। हम नार्मल बच्चों को भी उतना ही सक्षम बनाएंगे। यह विचार उस सोच को तोड़ता है जो मानती है कि सफलता केवल मेधावी बच्चों के हिस्से है। इस लैब में औसत छात्र भी भविष्य की तकनीकें सीखकर अपना मुकाम बना सकेंगे।

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